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అజరామర సూక్తి
अजरामर सूक्ति
अजरामर सूक्ति
Eternal Quote
इन्द्रियाणि च सम्यम्य बकवत् पण्डितो नरः
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्- चाणक्य नीति
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्- चाणक्य नीति
ఇంద్రియాణి చ సమ్యమ్య బకవత్ పణ్డితో నరః
దేశకాలబలం జ్ఞాత్వా సర్వకార్యాణి సాధయేత్
- చాణక్య నీతి
ఇంద్రియులందు సంపూర్ణ సమ్యమనము పాటించుతూ కొంగ ఒంటికాలుపై నిలిచి తన ఆహారమిన చేపలను పట్టుకొంటుంది. తెలివిపరుడు కూడా కార్య సాధన కొరకు తగిన సమయమునకై వేచియుంటాడు గానీ తొందర పడడు.
కొంగ తన ఆహారము అందుబాటులోకి వచ్చే వరకు కదలదు మెదలదు. అది అల్సత్వమా అంటే కాదు కానే కాదు. అవకాశము కొరకు అవసరమైన నిరీక్షణ అది. అందువల్లనే తానూ తలచిన ఆహారాన్ని పొందగాలుగుతూ వుంది.
వివేకి కూడా అవసరము కొరకు అవకాశమును వదలడు. ఎంత సేపయినా వేచియుంటాడు. కానీ అవకాశమును జార విడువడు. నిరీక్షణ ఎప్పటికీ అలసత్వము కానేరదు. అట్లని అలసత్వమూ నిరీక్షణ కానేరదు. తానూ కదలనంత మాత్రాన ఏమీ చేయుట లేదని కాదు. తనపరిసరములను ,తగిన సమయమును తగిన ఫలితముకై ఎదురు చూచుచున్నాడు. ఓర్పు అన్నది మానవునికి ఇస్తుంది నేర్పు. నేర్వకుంటే మిగిలేది ఓదార్పు.
కొంగ తన ఆహారము అందుబాటులోకి వచ్చే వరకు కదలదు మెదలదు. అది అల్సత్వమా అంటే కాదు కానే కాదు. అవకాశము కొరకు అవసరమైన నిరీక్షణ అది. అందువల్లనే తానూ తలచిన ఆహారాన్ని పొందగాలుగుతూ వుంది.
వివేకి కూడా అవసరము కొరకు అవకాశమును వదలడు. ఎంత సేపయినా వేచియుంటాడు. కానీ అవకాశమును జార విడువడు. నిరీక్షణ ఎప్పటికీ అలసత్వము కానేరదు. అట్లని అలసత్వమూ నిరీక్షణ కానేరదు. తానూ కదలనంత మాత్రాన ఏమీ చేయుట లేదని కాదు. తనపరిసరములను ,తగిన సమయమును తగిన ఫలితముకై ఎదురు చూచుచున్నాడు. ఓర్పు అన్నది మానవునికి ఇస్తుంది నేర్పు. నేర్వకుంటే మిగిలేది ఓదార్పు.
इन्द्रियाणि च सम्यम्य बकवत् पण्डितो नरः
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्- चाणक्य नीति
समय और ताकत के बारे में पता रखतेहुए, एक सारस उसकी जगह से नहीं हिलती, उसी तरह एक सुविज्ञ , अपने होश काबू में रखते हुए, अं मौकेके इन्तजार में रहतेहुए उसके सभी कार्यों में सफल होता है।
एक सारस, यहां तक कि एक पैर पर खड़ी , अपनी पकड़ के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार किए बिना, अपनी जगहसे
नहीं हिलती और आसपास की घटनाओं के बारे में ध्यान भी नहीं रखती, और मौका आने पर अपने शिकार को
पकड़ लेती है | सफलता पाकर ही सांस लेती है |
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्- चाणक्य नीति
समय और ताकत के बारे में पता रखतेहुए, एक सारस उसकी जगह से नहीं हिलती, उसी तरह एक सुविज्ञ , अपने होश काबू में रखते हुए, अं मौकेके इन्तजार में रहतेहुए उसके सभी कार्यों में सफल होता है।
एक सारस, यहां तक कि एक पैर पर खड़ी , अपनी पकड़ के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार किए बिना, अपनी जगहसे
नहीं हिलती और आसपास की घटनाओं के बारे में ध्यान भी नहीं रखती, और मौका आने पर अपने शिकार को
पकड़ लेती है | सफलता पाकर ही सांस लेती है |
उसी तरह एक चतुर व्यक्ति भी अपने परिवेश के बारे में पता रखते हुए , अपने होश के सुख में उपज नहीं होने देता है। उनकी इच्छाओं या इंद्रियों की कमजोरियाॅ व अपने तर्क प्रबल नहीं होने देंता। परिस्थिथि के अनुसार उन्होंने खुद को समायोजन करलेता है या अपने आप को परिवर्तन करलेता है, फिर भी प्रतिबद्धता से अटल रहता है। उसकी शक्तियों और कमजोरियों, समय और स्थान के लिए उनकी जागरूकता, सभी को अपनी बुद्धि के लिए योगदान करते हैं। उनके धैर्य और दृढ़ता के जरिये अंत में उसे सुफल देके सफल करता है|
सब्र कभी भी निष्क्रिय नहीं होता, वह तो अं मौकेका इंतज़ार होता है |उस आदमी आलसी नहीं है! धीमी गति से मुश्किलों को पार करके अपना वंचित फल पाता है । धैर्य ज्ञान का साथी है शत्रु नहीं !
सब्र कभी भी निष्क्रिय नहीं होता, वह तो अं मौकेका इंतज़ार होता है |उस आदमी आलसी नहीं है! धीमी गति से मुश्किलों को पार करके अपना वंचित फल पाता है । धैर्य ज्ञान का साथी है शत्रु नहीं !
indriyaaNi cha samyamya bakavat paNDito naraH
deshakaalabalaM j~naatvaa sarvakaaryaaNi saadhayet
- chaaNakya nIti
deshakaalabalaM j~naatvaa sarvakaaryaaNi saadhayet
- chaaNakya nIti
By restraining the senses, like a stork, a learned person, aware of his space, time and strengths, succeeds in all his tasks.
A stork stands still in a place, without moving even a bit, waiting patiently for its catch, on one foot. It is very aware of the happenings around, yet restrains its senses. He knows his patience gets paid eventually!
Same is done by a shrewd person. He is very aware of his surroundings, but doesn't yield into the pleasures of his senses. He will not let his desires or weaknesses of the senses, overpower his reasoning. He is flexible to changes, yet firm in his conviction. His awareness to his strengths and weaknesses, time and space, all contribute to his wisdom. His patience and perseverance pay off eventually!
Patience is waiting, not passively waiting - that is laziness! But to keep going when the going is hard and slow - that is patience. Patience is the companion of wisdom!
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